मानव जीवन का वृक्षों के साथ सदियों से अटूट रिश्ता रहा है। वृक्ष मानव जीवन का आधार है। हमारे नित्यप्रति जीवन में वृक्षों से प्राप्त विभिन्न सामग्री/उपकरणों का विशेष योगदान रहा हैं। वृक्ष एवं सामाजिक तथा भौतिक विकास का संतुलन ही सभ्यता एवं संस्कृति को विकसित करती है। इस संतुलन के भंग होने से कई प्राकृतिक आपदायें वर्तमान समय में दृष्टिगोचर हो रही है। वर्तमान जीवन शैली इस असंतुलन को और बढावा दे रहा है। इसके फलस्वरूप ग्लोबल वार्मिग, बाढ, सूक्षा, भूकम्प, सुनामी आदि भौगोलिक घटनाओं में अत्यधिक वृद्धि हो रही है। इस प्रकार वृक्षों का योगदान केवल बढते हुए प्रदूषण को रोकने में ही नही अपितु जलवायु एवं वातावरण के संतुलन में भी सर्वोपरि है।
अन्तर्राष्ट्रीय मानक के अनुसार कुल भौगोलिक क्षेत्रफल के कम से कम 33 प्रतिशत क्षेत्रफल पर वृक्ष का होना आवश्यक है। वर्तमान में भारत वर्षा में 20.6 प्रतिशत एवं उत्तर प्रदेश में 6.88 प्रतिशत एवं बरेली जनपद के केवल 1.07 प्रतिशत भू भाग पर ही वृक्ष लगे है। यह स्थिति अत्यन्त भयावह है। हम सभी का पुनीत कर्तव्य है कि इस भयावह स्थिति से राष्ट्र एवं राज्य को बचाने के लिए अधिक से अधिक संख्या में वृक्षारोपण करें एवं उसकी देखरेख कर उन्हे बडा करें।
अतः जनसामान्य से यह अपील है कि अपने अपने घरों / निवासों में या घर के आस-पास खुले स्थानों में कम से कम पाँच-पाँच वृक्ष लगवाये एवं उसकी देखरेख / पोषण / सुरक्षा / संरक्षा करें एवं पर्यावरण को सुदृढ़ करने में अपना महतवपूर्ण योगदान दें।
उपाध्यक्ष